72,825 शिक्षक भर्तीः फिर अधूरा रहा अखिलेश का वादा
साल 2014 बीत रहा है, लेकिन 2011 में शुरू हुई प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती प्रक्रिया सीएम अखिलेश के तमाम वादों के बावजूद पूरी नहीं हो सकी।
वादे दिए जाते रहे, टूटते रहे और नौकरी का इंतजार कर रहे युवा साल दर साल अपनी उम्र बढ़ते देखते रहे। किसी की शादी रुकी, किसी की टूट गई। कभी सरकारी कामकाज की पेचीदगी तो कभी कोर्ट के चक्कर में ये भर्ती अटकी रही।
कई बार शिक्षक अपने हक की लड़ाई के लिए सड़कों पर उतर आए। उन्हें आश्वासन तो बाद में दिया गया, पहले उन पर बेहिसाब लाठियां भाजीं गईं। इसका खामियाजा राजधानी ने भुगता जब शिक्षकों के गुस्से का शिकार शहर की बसें, लोग और राजकीय संपत्ति बनी।
बार-बार फॉर्म भरने में न जाने कितने करोड़ रुपये सरकार के खाते में पहुंचे, लेकिन इस दौरान शायद ही कभी उन युवाओं की सुध ली गई जिनकी जिंदगी का मकसद ही ये नौकरी बन चुकी थी।
अब उनकी उम्मीद चार साल की जद्दोजहद के बाद साल 2015 में दाखिल हो गई है। इस खास खबर में आगे पढ़िए, कब-क्या-कैसे हुआ और आखिर कब निकलेगा इस भर्ती प्रक्रिया का नतीजा।
साल 2014 बीत रहा है, लेकिन 2011 में शुरू हुई प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती प्रक्रिया सीएम अखिलेश के तमाम वादों के बावजूद पूरी नहीं हो सकी।
वादे दिए जाते रहे, टूटते रहे और नौकरी का इंतजार कर रहे युवा साल दर साल अपनी उम्र बढ़ते देखते रहे। किसी की शादी रुकी, किसी की टूट गई। कभी सरकारी कामकाज की पेचीदगी तो कभी कोर्ट के चक्कर में ये भर्ती अटकी रही।
कई बार शिक्षक अपने हक की लड़ाई के लिए सड़कों पर उतर आए। उन्हें आश्वासन तो बाद में दिया गया, पहले उन पर बेहिसाब लाठियां भाजीं गईं। इसका खामियाजा राजधानी ने भुगता जब शिक्षकों के गुस्से का शिकार शहर की बसें, लोग और राजकीय संपत्ति बनी।
बार-बार फॉर्म भरने में न जाने कितने करोड़ रुपये सरकार के खाते में पहुंचे, लेकिन इस दौरान शायद ही कभी उन युवाओं की सुध ली गई जिनकी जिंदगी का मकसद ही ये नौकरी बन चुकी थी।
अब उनकी उम्मीद चार साल की जद्दोजहद के बाद साल 2015 में दाखिल हो गई है। इस खास खबर में आगे पढ़िए, कब-क्या-कैसे हुआ और आखिर कब निकलेगा इस भर्ती प्रक्रिया का नतीजा।
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