Wednesday 19 November 2014










Thanks for nice comment



क्यों रोक दी अपनी प्य़ारी सी मुस्कान, इसे चलने दो एक मुस्कान से संमा बदलता है,तो उसे बदलने दो ये मुस्कान ईश्वर का एक रुप होता हैं कभी छांव, कभी रोशनी तो कभी धूप होता है यही मुस्कान माँ के चेहरें पर ममता का स्वरुप होता हैं यही प्यारी मुस्कान एक मासूम बच्चे के ऊपर कितना क्यूट होता है अगर ये मुस्कान अस्सी के रफ्तार में चलती है, तो चलने दो एक मुस्कान से संमा बदलता है, तो उसे बदलने दो जब देश की तरक्की की खबरें मिलती है, तो हम मुस्कुरातें हैं जब जीवन में पहली बार तनख़्वाह मिलती है तो हम मुस्कुरातें हैं फ़िल्म में विलेंन की पिटाई देख हम मुस्कुरातें हैं किसी गिफ्ट में मिली मिठाई देख मुस्कुरातें हैं घर में किसी की हो रही सगाई देख मुस्कुराते है तो कभी कपिल की कॅमेडी नाईंट्स देख मुस्कुरातें हैं अगर आपकी मुस्कान से कोई जलता है, तो जलने दो एक मुस्कान से संमा बदलता है, तो उसे बदलने दो मुस्कान में होती है ऐसी ज़ान जो देती है हम सबको नयी पहचान जि़न्दगी में कितने भी आये ग़म के तूफान लेकिन लड़खड़ाती नही है हमारी ज़ुबान मुस्कान है खुशियों की खूबसूरत दुकान जहॉ से खरिदा जा सकता है, सारा जहांन मुस्कान ऊपर





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