संकट में बीएड शिक्षा का 200 करोड़ का कारोबार
देहरादून
प्रदेश में निजी बीएड शिक्षा का 200 करोड़ से ज्यादा का कारोबार खतरे में है। बीते वर्षो की तुलना में बीएड की पढ़ाई को लेकर रुझान घटने से 113 निजी बीएड कालेज दाखिले को तरस गए हैं। भावी शिक्षकों को तराशने वाले कालेजों में बीएड का प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं की संख्या में बड़ी गिरावट आई है। गढ़वाल मंडल के निजी बीएड पाठ्यक्रम की 7100 सीटों में बामुश्किल 40 फीसद सीटें ही भर पाई हैं। यानि 50 फीसद सरकारी कोटे की 3550 सीटों पर भी अब तक दाखिला नहीं हो सका है। नतीजतन एक निजी कालेज ने बंदी के लिए विश्वविद्यालय को पत्र लिया दिया है, जबकि और दो कालेज बंदी की तैयारी कर रहे हैं।
शिक्षा को लेकर केंद्र से लेकर राज्यों में हो रहे प्रयोगों ने निजी शिक्षा खासकर सेल्फ फाइनेंस बीएड शिक्षा के कारोबार के सामने अस्तित्व बचाने का संकट खड़ा कर दिया है। बीएड कोर्स की जरूरत बताकर देशभर में बड़ी संख्या में खोले गए बीएड कालेज अब बदले हालात में बंदी के कगार पर हैं। प्राइमरी के साथ ही माध्यमिक में शिक्षक बनने के लिए अब बीएड का प्रशिक्षण काफी नहीं है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के बाद बीएड प्रशिक्षितों के प्राइमरी शिक्षक बनने की राह पेचीदा हो चली है। नए बीएड डिग्रीधारकों को प्राइमरी शिक्षक के तौर पर नियुक्ति मिलना मुमकिन नहीं है। फिलहाल बचे-खुचे वक्फे में जिन के पास मौका है, उन्हें भी पहले टीईटी पास करने की बाध्यता है। खास बात यह है कि एलटी शिक्षक बनने के लिए भी टीईटी-दो पास होना अनिवार्य है। प्रवेश परीक्षा देने के बाद बीएड प्रशिक्षण लेने वालों को अब नियुक्ति के लिए कदम-कदम पर परीक्षा पास करनी है।
नतीजतन प्रदेश में बीएड की डिग्री हासिल करने को मारामारी तो दूर की बात, बड़ी संख्या में सीटें खाली रहने की नौबत है। साल-दर-साल यह समस्या बढ़ रही है। प्रदेश में बीते वर्ष निजी कालेजों में बीएड की दो हजार से ज्यादा सीटें खाली रह गई थीं। इस वर्ष गढ़वाल मंडल के 71 और कुमाऊं मंडल के 42 निजी बीएड कालेजों की कुल 11300 सीटों पर दाखिले होने हैं। गढ़वाल मंडल के 71 निजी बीएड कालेजों की 7100 सीटों में सरकारी कोटे की 50 फीसद सीटें नहीं भर पाई हैं। मैनेजमेंट कोटे की शेष 50 फीसद सीटें पांच से 10 फीसद भी भर सकेंगी, इसे लेकर संशय है। एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबद्ध 45 निजी बीएड कालेजों और श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय से संबद्ध 26 निजी बीएड कालेजों की कुल 7100 सीटों में अभी तक 3000 सीटें बामुश्किल भर पाई हैं। हालत है कि काउंसिलिंग को लेकर विश्वविद्यालय हाथ खड़ा कर चुके हैं। कालेजों को अपने बूते काउंसिलिंग कर दाखिले करने को कहा जा रहा है। इससे लेकर कालेजों और विश्वविद्यालयों के बीच रस्साकसी शुरू हो चुकी है। बीएड शिक्षा की प्रवेश परीक्षा में भी अपेक्षा से काफी छात्र-छात्राएं शामिल हो रहे हैं। कुमाऊं मंडल में 42 निजी बीएड कालेज हैं। इनमें दाखिले को काउंसिलिंग प्रक्रिया चल रही है। बीते वर्ष निजी कालेजों में विज्ञान वर्ग में काफी संख्या में सीटें रिक्त रही थीं।
बंदी की ओर बढ़े कदम
दाखिले नहीं होने अथवा काफी कम संख्या में दाखिले मिलने से कालेज अस्तित्व बचाए रखने की जिद्दोजहद में फंसे हैं। एसोसिएशन आफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट अध्यक्ष सुनील अग्रवाल के मुताबिक दाखिले के संकट से कालेज बंद होने को मजबूर हो रहे हैं। ट्रिनिटी कालेज ने बंदी के लिए विश्वविद्यालय को पत्र लिख दिया है। वहीं बीएड कालेज तनिष्क और मसूरी का एक कालेज भी इस दिशा में कदम बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने इस संकट के लिए गढ़वाल विश्वविद्यालय को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि कालेजों में दाखिले को कट आफ मार्क्स को 40 फीसद को कम किया जाना चाहिए।
सरकारी सेल्फ फाइनेंस बीएड पर भी संकट
प्रदेश में सेल्फ फाइनेंस मोड में 17 राजकीय डिग्री कालेजों में बीएड की पढ़ाई जारी है। इनमें आठ कालेज गढ़वाल और नौ कालेज कुमाऊं मंडल में हैं। इन कालेजों में भी दाखिले पर असर पड़ रहा है। ट्रेंड यही रहा तो कई कालेजों में सरकारी सेल्फ फाइनेंस बीएड पढ़ाई पर संकट मंडरा सकता है।
इनसेट-
113 निजी बीएड कालेजों का की आर्थिकी:
-प्रत्येक कालेज में कुल 100 सीटों में 50 फीसद सरकारी कोटे की सीट पर ली जाने वाली फीस-21 लाख (प्रति सीट फीस-42 हजार रुपये)
-मैनेजमेंट कोटे की सीट पर ली जाने वाली फीस-27.50 लाख (प्रति सीट फीस-55 हजार रुपये सालाना)
-कुल कालेजों को फीस से हासिल धनराशि-54.80 करोड़
-कालेजों में फैकल्टी और शिक्षणेत्तर कर्मियों के वेतन पर सालाना खर्च- 16 करोड़ (प्रति कालेज एक प्राचार्य समेत सात फैकल्टी की तैनाती अनिवार्य, वेतन पर खर्च औसतन 15 लाख रुपये)
-मानक के मुताबिक प्रति कालेज न्यूनतम 3.5 बीघा जमीन और 1500 वर्गमीटर भवन निर्माण पर औसत खर्च-1.50 करोड़ (113 कालेजों की परिसंपत्तियों की धनराशि करीब 169 करोड़)
News Sabhaar : Jagran Publish Date:Tue, 23 Sep 2014 01:00 AM (IST) | Updated Date:Tue, 23 Sep 2014 01:00 AM (IST)
देहरादून
प्रदेश में निजी बीएड शिक्षा का 200 करोड़ से ज्यादा का कारोबार खतरे में है। बीते वर्षो की तुलना में बीएड की पढ़ाई को लेकर रुझान घटने से 113 निजी बीएड कालेज दाखिले को तरस गए हैं। भावी शिक्षकों को तराशने वाले कालेजों में बीएड का प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं की संख्या में बड़ी गिरावट आई है। गढ़वाल मंडल के निजी बीएड पाठ्यक्रम की 7100 सीटों में बामुश्किल 40 फीसद सीटें ही भर पाई हैं। यानि 50 फीसद सरकारी कोटे की 3550 सीटों पर भी अब तक दाखिला नहीं हो सका है। नतीजतन एक निजी कालेज ने बंदी के लिए विश्वविद्यालय को पत्र लिया दिया है, जबकि और दो कालेज बंदी की तैयारी कर रहे हैं।
शिक्षा को लेकर केंद्र से लेकर राज्यों में हो रहे प्रयोगों ने निजी शिक्षा खासकर सेल्फ फाइनेंस बीएड शिक्षा के कारोबार के सामने अस्तित्व बचाने का संकट खड़ा कर दिया है। बीएड कोर्स की जरूरत बताकर देशभर में बड़ी संख्या में खोले गए बीएड कालेज अब बदले हालात में बंदी के कगार पर हैं। प्राइमरी के साथ ही माध्यमिक में शिक्षक बनने के लिए अब बीएड का प्रशिक्षण काफी नहीं है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के बाद बीएड प्रशिक्षितों के प्राइमरी शिक्षक बनने की राह पेचीदा हो चली है। नए बीएड डिग्रीधारकों को प्राइमरी शिक्षक के तौर पर नियुक्ति मिलना मुमकिन नहीं है। फिलहाल बचे-खुचे वक्फे में जिन के पास मौका है, उन्हें भी पहले टीईटी पास करने की बाध्यता है। खास बात यह है कि एलटी शिक्षक बनने के लिए भी टीईटी-दो पास होना अनिवार्य है। प्रवेश परीक्षा देने के बाद बीएड प्रशिक्षण लेने वालों को अब नियुक्ति के लिए कदम-कदम पर परीक्षा पास करनी है।
नतीजतन प्रदेश में बीएड की डिग्री हासिल करने को मारामारी तो दूर की बात, बड़ी संख्या में सीटें खाली रहने की नौबत है। साल-दर-साल यह समस्या बढ़ रही है। प्रदेश में बीते वर्ष निजी कालेजों में बीएड की दो हजार से ज्यादा सीटें खाली रह गई थीं। इस वर्ष गढ़वाल मंडल के 71 और कुमाऊं मंडल के 42 निजी बीएड कालेजों की कुल 11300 सीटों पर दाखिले होने हैं। गढ़वाल मंडल के 71 निजी बीएड कालेजों की 7100 सीटों में सरकारी कोटे की 50 फीसद सीटें नहीं भर पाई हैं। मैनेजमेंट कोटे की शेष 50 फीसद सीटें पांच से 10 फीसद भी भर सकेंगी, इसे लेकर संशय है। एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबद्ध 45 निजी बीएड कालेजों और श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय से संबद्ध 26 निजी बीएड कालेजों की कुल 7100 सीटों में अभी तक 3000 सीटें बामुश्किल भर पाई हैं। हालत है कि काउंसिलिंग को लेकर विश्वविद्यालय हाथ खड़ा कर चुके हैं। कालेजों को अपने बूते काउंसिलिंग कर दाखिले करने को कहा जा रहा है। इससे लेकर कालेजों और विश्वविद्यालयों के बीच रस्साकसी शुरू हो चुकी है। बीएड शिक्षा की प्रवेश परीक्षा में भी अपेक्षा से काफी छात्र-छात्राएं शामिल हो रहे हैं। कुमाऊं मंडल में 42 निजी बीएड कालेज हैं। इनमें दाखिले को काउंसिलिंग प्रक्रिया चल रही है। बीते वर्ष निजी कालेजों में विज्ञान वर्ग में काफी संख्या में सीटें रिक्त रही थीं।
बंदी की ओर बढ़े कदम
दाखिले नहीं होने अथवा काफी कम संख्या में दाखिले मिलने से कालेज अस्तित्व बचाए रखने की जिद्दोजहद में फंसे हैं। एसोसिएशन आफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट अध्यक्ष सुनील अग्रवाल के मुताबिक दाखिले के संकट से कालेज बंद होने को मजबूर हो रहे हैं। ट्रिनिटी कालेज ने बंदी के लिए विश्वविद्यालय को पत्र लिख दिया है। वहीं बीएड कालेज तनिष्क और मसूरी का एक कालेज भी इस दिशा में कदम बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने इस संकट के लिए गढ़वाल विश्वविद्यालय को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि कालेजों में दाखिले को कट आफ मार्क्स को 40 फीसद को कम किया जाना चाहिए।
सरकारी सेल्फ फाइनेंस बीएड पर भी संकट
प्रदेश में सेल्फ फाइनेंस मोड में 17 राजकीय डिग्री कालेजों में बीएड की पढ़ाई जारी है। इनमें आठ कालेज गढ़वाल और नौ कालेज कुमाऊं मंडल में हैं। इन कालेजों में भी दाखिले पर असर पड़ रहा है। ट्रेंड यही रहा तो कई कालेजों में सरकारी सेल्फ फाइनेंस बीएड पढ़ाई पर संकट मंडरा सकता है।
इनसेट-
113 निजी बीएड कालेजों का की आर्थिकी:
-प्रत्येक कालेज में कुल 100 सीटों में 50 फीसद सरकारी कोटे की सीट पर ली जाने वाली फीस-21 लाख (प्रति सीट फीस-42 हजार रुपये)
-मैनेजमेंट कोटे की सीट पर ली जाने वाली फीस-27.50 लाख (प्रति सीट फीस-55 हजार रुपये सालाना)
-कुल कालेजों को फीस से हासिल धनराशि-54.80 करोड़
-कालेजों में फैकल्टी और शिक्षणेत्तर कर्मियों के वेतन पर सालाना खर्च- 16 करोड़ (प्रति कालेज एक प्राचार्य समेत सात फैकल्टी की तैनाती अनिवार्य, वेतन पर खर्च औसतन 15 लाख रुपये)
-मानक के मुताबिक प्रति कालेज न्यूनतम 3.5 बीघा जमीन और 1500 वर्गमीटर भवन निर्माण पर औसत खर्च-1.50 करोड़ (113 कालेजों की परिसंपत्तियों की धनराशि करीब 169 करोड़)
News Sabhaar : Jagran Publish Date:Tue, 23 Sep 2014 01:00 AM (IST) | Updated Date:Tue, 23 Sep 2014 01:00 AM (IST)
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