News : पर्सनल बॉन्ड देकर रिहा हुए योगेंद्र यादव
आप नेता योगेंद्र यादव, सिसौदिया व जरनैल सिंह निजी मुचलके पर रिहा
आम आदमी पार्टी (आप) नेता योगेंद्र यादव, मनीष सिसौदिया और जरनैल सिंह और उनके साथ 56 पार्टी कार्यकर्ताओं को गुरुवार को रिहा कर दिया गया। इन सभी को तिहाड़ जेल के बाहर प्रदर्शन करने के आरोप में बुधवार रात गिरफ्तार किया गया था। सिसोदिया और जरनैल सहित सभी समर्थकों को निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया।
योगेंद्र के निजी मुचलका देने से मना करने पर उन्हें तीस हजारी अदालत के सामने पेश किया गया जहां महानगर दंडाधिकारी एकता गौबा ने उन्हें 5,000 रुपये का निजी मुचलका भरने के निर्देश दिए। यादव ने अदालत का फैसला कर स्वीकार लिया और मुचलका भरने पर रिहा कर दिए गए।
आप नेताओं और कार्यकर्ताओं को तिहाड़ जेल के नजदीक भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 144 के उल्लंघन मामले में बुधवार रात गिरफ्तार किया गया था। धारा 144 उस इलाके में बुधवार शाम लागू किया गया था। आप समर्थक पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल को मानहानि मामले में न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेजे जाने के खिलाफ तिहाड़ के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे
अरविंद केजरीवाल को जेल भेजने के खिलाफ तिहाड़ के बाहर प्रदर्शन करने पर गिरफ्तार किए आप नेता योगेंद्र यादव ने गुरुवार को पांच हजार रुपये का पर्सनल बॉन्ड भरकर जमानत ले ली। केजरीवाल के बेल बॉन्ड न भरकर जेल जाने और योगेंद्र यादव के जमानत के लिए 5 हजार रुपये देने के विरोधाभाषी 'सिद्धांतों' पर सोशल साइट्स पर लोग खूब सवाल उठा रहे हैं। हालांकि योगेंद्र यादव ने सफाई देते हुए कहा है कि उन्होंने बेल बॉन्ड नहीं, पर्सनल बॉन्ड पर जमानत ली है।
यह है पर्सनल बॉन्ड और बेल बॉन्ड का फर्क
योगेंद्र यादव के निजी मुचलके पर रिहा होने के बाद काफी लोग कह रहे हैं कि उन्होंने अरविंद केजरीवाल के सिद्धांत के खिलाफ काम किया, जबकि ऐसा नहीं है। दोनों एक ही बात कह रहे हैं। जानेमाने वकील और हमारे ब्लॉगर दिनेश राय द्विवेदी ने इस संबंध में स्थिति साफ की है।
जमानत मुचलके के संबंध में जो भ्रम मीडिया में आ रहे हैं उनके बारे में सही सूचना इस प्रकार हैः
किसी भी व्यक्ति को अदालत की पेशियों पर उपस्थित होते रहने के लिए सिक्यॉरिटी बॉन्ड व पर्सनल बॉन्ड दोनों पर छोड़ा जा सकता है। आम तौर पर दोनों बॉन्ड देने का आदेश अदालत करती है। अदालत किसी व्यक्ति को केवल पर्सनल बॉन्ड पर छोड़ सकती है। सिक्यॉरिटी बॉन्ड को सामान्य हिन्दुस्तानी भाषा में जमानत और पर्सनल बॉन्ड को मुचलका कहते हैं। मीडिया जमानत को मुचलका कह रहा है और मुचलके को अंडरटेकिंग कह रहा है। मीडिया की तर्ज पर ही राजनैतिक कार्यकर्ता भी उसे अंडरटेकिंग कह रहे हैं, जिनमें आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता भी शामिल हैं, जबकि अडंरटेकिंग नाम की कोई चीज नहीं होती।
अरविंद केजरीवाल ने पर्सनल बॉन्ड यानी मुचलका देने के लिए इनकार नहीं किया। वह जमानत यानी सिक्यॉरिटी बॉन्ड के लिए इनकार कर रहे हैं। योगेन्द्र यादव को मुचलका देने पर रिहा कर दिया गया, उन से जमानत नहीं मांगी गई।
अब कुछ लोग इसे इस तरह प्रचारित कर रहे हैं कि योगेंद्र यादव पांच हजार रुपये देकर छूटे जबकि अदालत कभी भी जमानत या मुचलके का रुपया जमा नहीं करती। यह सिर्फ बॉन्ड होता है और जब इस बॉन्ड की शर्त का उल्लंघन होता है तो उस दशा में बॉन्ड के रुपये की वसूली की जाती है। इस तरह मीडिया द्वारा गलत सूचनाएं देने से आम लोगों में न्यायिक प्रक्रिया और उपबंधों के बारे में भ्रम पैदा हो रहे हैं।
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